भारतीय जीवन बीमा निगम (L.I.C)
भारतीय जीवन बीमा निगम या फिर एलआईसी के नाम से विख्यात भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है और यह देश की सबसे बड़ी निवेशक कंपनी भी है यह पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है इसकी स्थापना सन 1956 ईस्वी में हुई थी।

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इसका मुख्यालय भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में है भारतीय जीवन बीमा निगम के 8 आंचलिक कार्यालय एवं 101 संभागीय कार्यालय भारत के अलग-अलग भागों में है उसमें तकरीबन 2048 कार्यालय देश के अनेकों शहरों में बने हुए हैं और इसके 10 लाख से अधिक एजेंट पूरे भारत में फैले हुए हैं।
भारतीय जीवन बीमा निगम हर साल नौकरियों की भर्ती निकलती रहती है इस साल भी निकाली गई है।
भारतीय जीवन बीमा का इतिहास
भारतीय जीवन बीमा ओरिएंटल जीवन कंपनी भारत की पहली ऐसी बीमा कंपनी है जिसकी स्थापना 1828 में कोलकाता में विपिन दासगुप्ता और दूसरे लोगों के जरिए स्थापित की गई थी बॉम्बे म्युचुअल लाइफ इंश्योरेंस सोसायटी जो 1870 में गठित हुई थी देश की बीमा देने वाली इकाई थी अन्य बीमा कंपनी जो स्वतंत्रता के पहले गठित हुई
⏩️ भारतीय जीवन बीमा कंपनी ✅️ 1896
⏩️ यूनाइटेड कंपनी ✅️ 1906
⏩️ नैशनल इंडियन ✅️ 1906
⏩️ नैशनल इन्शुअरन्स ✅️ 1906
⏩️ कोआपरेटिव अस्योरेंस ✅️ 1906
⏩️ हिंदुस्तान को ऑपरेटिव ✅️ 1906
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भारतीय जीवन बीमा राष्ट्रीयकरण
भारतीय संसद में 19 जून 1956 ईसवी को भारतीय जीवन बीमा विधेयक पारित किया जिसके अंतर्गत 1 सितंबर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम अस्तित्व में आ गया भारतीय जीवन बीमा व्यापार का राष्ट्रीयकरण औद्योगिक नीति संकल्प 1956 का परिणाम है।
भारतीय जीवन बीमा का संक्षेप में इतिहास
आज के आधुनिक इंसान में भी नुकसान और आपदाओं से लड़ने की वहीं सुरक्षा प्रवृत्तियां पाई जाती है जो प्राचीन काल के मानव में व्याप्त है। यदि कोई बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए उन्हें कुर्सी से की और अपनी सुरक्षा के लिए हर प्रकार के बलिदान देने को भी तत्पर रहते हैं जबकि बीमा करण की अवधारणा पिछले कुछ सालों में ही आई है खासतौर से उद्योगी करण के पश्चात के वक्त में कुछ सदियों पूर्व परंतु फिर भी इसके अंकुर 6000 साल पहले से फुट चुके थे।
भारतीय जीवन बीमा
भारतीय जीवन बीमा अपने आधुनिक रूप के साथ 18 सो 18 ईस्वी में इंग्लैंड से भारत आया भारत की पहली जीवन बीमा कंपनी कोलकाता में यूरोपीयंस के जरिए प्रारंभ की गई थी जिसका नाम था ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस उस वक्त सभी बीमा कंपनियों की स्थापना यूरोपीय समुदाय की आवश्यकता को संपूर्ण करने के लिए किया गया था यह कंपनियां भारतीय मूल के लोगों को बीमा प्रदान करते थे परंतु कुछ वक्त के बाद बाबू मुक्तिलाल सील जैसे महान व्यक्तियों के प्रयास से विदेशी जीवन बीमा कंपनी ने भारतीय का भी बीमा करण करना प्रारंभ कर दिया लेकिन यह कंपनियां भारतीय के साथ निम्न स्तर का व्यवहार रखी थी जैसे भारी और ज्यादा प्रीमियम की मांग करना भारत की पहली जीवन बीमा कंपनी की न्यू 18 सो 70 ईस्वी में मुंबई न्यूज़ चल लाइफ इंश्योरेंस सोसाइटी के नाम से रखी गई ।
जिसने भारत के लोगों के बीमा को करना प्रारंभ किया प्रारंभ में सामान दरों पर बीमा करना प्रारंभ किया पूरे प्रकार से स्वदेशी इन कंपनियों का प्रारंभ देशभक्ति की भावना से हुआ यह कंपनियां समाज के अनेकों वर्गों की सुरक्षा और बीमा करण का संदेश लेकर सामने उमरी और भारतीय जीवन बीमा कंपनी 18 सो 96 में राष्ट्रीयता से प्रभावित एक ऐसी कंपनी हो गई जिसने 1905 से उन्नीस सौ सात के स्वदेशी आंदोलन में ऐसी और भी कई बीमा कंपनियों को बधवा दिया जैसे मद्रास में दी यूनाइटेड इंडिया और कोलकाता में नेशनल इंडियन और नेशनल इंश्योरेंस के अंतर्गत 19 शिक्षा में लाहौर में कोऑपरेटिव बीमा की स्थापना हुई कोलकाता में महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर जिन्होंने राष्ट्रगान की स्थापना की थी उन्होंने घर जोड़ा संख्या के एक छोटे से कमरे में हिंदुस्तान को ऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी का 1907 में बनाया था।
उन दिनों बीमा कंपनियों में कुछ कंपनियां थी जिनका नाम द इंडियन मर्केंटाइल जनरल इंश्योरेंस एवं स्वदेशी लाइफ जो 1912 से पहले भारत में बीमा व्यापार के लिए कोई भी कानून नहीं बना था वह 1912 में लाइफ इंश्योरेंस कंपनी एक्ट और प्रोविडेंट फंड एक्ट को पारित किया जिसके परिणाम स्वरूप बीमा कंपनी के लिए अपने प्रीमियम रेट टेबल्स और पीरियोडीक वैल्यूएशन को मान्यता प्राप्त अधिकारी से प्रमाणित करवाना जरूरी हो गया लेकिन इस धारा ने विदेशी और भारतीय कंपनी के लिए अनेकों स्तर पर भेदभाव करना प्रारंभ कर दिए जो भारतीय कंपनियों के लिए हानिकारक सिद्ध होने लगे।
बीसवीं सदी के पूर्व दो दशकों में बीमा का व्यापार तेजी से बढ़ोतरी किया 44 कंपनियों ने जहां 22 से 24 करोड़ रुपए का व्यापार किया था वहीं 1938 के आते-आते कंपनियों की संख्या भी बढ़ गई और वह बढ़ोतरी करके 176 कंपनियां हो गई जिनका कुल व्यापार 298 करोड रुपए था।
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बीमा कंपनी के इस तेजी से बढ़ते हुए उद्योग को देखकर के आर्थिक रूप से कमजोर कुछ कंपनियां भी सामने आए इनकी योजनाएं बाद में बुरी तरह नाकाम हो गई।
इंश्योरेंस एक्ट 1938 भारत का पहला ऐसा कानून है जिसने भारतीय जीवन बीमा के साथ-साथ सभी बीमा कंपनियों के उद्योग पर राज्य गवर्नमेंट का कड़ा नियंत्रण लागू किया काफी वक्त से जीवन बीमा उद्योग को राष्ट्रीयकरण प्रदान करने की मांग चल रही थी परंतु इसमें गति 1944 में पकड़ी ऐसी गति पकड़ी की जिसमें 1938 में लेजिसलेटिव असेंबली के सामने लाइफ इंश्योरेंस एक्ट बिल को संशोधित करने का प्रस्ताव रखा गया था उसके बाद भी भारत में बहुत वक्त के पश्चात जीवन बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण 18 जनवरी 1956 में हुआ इतने वक्त बाद राष्ट्रीयकरण के वक्त भारत में तकरीबन 154 जीवन बीमा कंपनियां थी एवं 16 विदेशी कंपनियां और 75 प्रोविडेंट कंपनियां कार्य कर रही थी।
इन कंपनियों का दो स्थिति में राष्ट्रीयकरण हुआ प्राथमिक अवस्था में इन कंपनियों के प्रशासनिक पदाधिकारियों के लिए गए उसके बाद एक कंप्रिहेंसिव बिल के अंतर्गत इन कंपनियों का स्वामित्व भी गवर्नमेंट ने अपने कब्जे में ले लिया भारतीय संविधान ने 19 जून 1956 ईस्वी को लाइफ इंश्योरेंस कॉपरेटिव एक्ट को पास किया 1 सितंबर 1956 ईस्वी में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य था जीवन बीमा को बड़े पैमाने पर क्षेत्र में ले आना खासतौर पर ग्राम में ताकि भारत के प्रत्येक नागरिक को पर्याप्त आर्थिक मदद उचित दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है एलआईसी 5 जोनल अधिकारी थे 35 डिविजनल ऑफीसर और 212 शाखा अधिकारी थे उसके अतिरिक्त कॉरपोरेट ऑफिस भी बना जीवन बीमा के कांटेक्ट लंबी अवधि के होते हैं और इस पार्टी के अंतर्गत प्रत्येक प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं बाद में सालों में इस बात की आवश्यकता पड़ने लगी कि इसकी कार्यप्रणाली का विस्तार किया जाए और प्रत्येक जनपद हेड क्वार्टर में शाखा ऑफिस को तैयार किया जाए एलआईसी का पूरा गठन प्रारंभ हुआ और बड़े पैमाने पर नए-नए शाखा ऑफिस को खोले गए पुनर्गठन के परिणाम स्वरुप तमाम सेवाएं इन शाखाओं में स्थानांतरित होने लगे और सभी शाखाएं का लेखा जोखा विभाग बन गया जिससे कारपोरेशन की कार्यप्रणाली और प्रदर्शन में अनेकों गुना सुधार होना प्रारंभ हो गए ऐसा देखने को मिले लगा कि 1997 ईस्वी में लालबाग में 200 करोड़ रुपए के बिजनेस कॉरपोरेशन में 1969 70 तक अपना बिजनेस 1000 करोड रुपए के पार पहुंचा दिया और अगले मात्र 10 साल में ही एलआईसी ने अपना व्यापार दो हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का कर लिया जब 80 के दशक के प्रारंभ में फिर से पुनर्गठन हुआ तो नई पॉलिसियों के कारण से 1985 86 तक व्यापार 7000 करोड रुपए से ऊपर जा पहुंचा और धीरे-धीरे एलआईसी ने अपने व्यापार में विस्तार किया और सभी लोगों को अच्छी अच्छी सुविधाएं प्रदान करना प्रारंभ कर दिया।
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एलआईसी व्यापार से संबंधित क्षेत्र के कुछ कीर्तिमान
⏩️ ओरिएंटल लाइफ बना कंपनी भारत की धरती पर कार्यरत होने वाली पहली कंपनी है। जो 1818 ईस्वी में स्थापित हुई है।
⏩️ मुंबई मेट्रो लाइफ बीमा सोसाइटी भारत की पहली जीवन बीमा कंपनी है जिसने अपना व्यापार प्रारंभ किया। 1870 में प्रारंभ हुआ।
⏩️ इंडियन लाइफ बीमा कंपनीज एक्ट जीवन बीमा व्यापार को व्यवस्थित करने वाला पहला कानून 1912 ईस्वी में बना।
⏩️ इंडियन लाइफ बीमा कंपनीज एक्ट लागू किया गया गवर्नमेंट के जरिए संपूर्ण सूचना प्राप्त हो सके जिससे और इसे 1988 में लागू किया गया था।
⏩️ बीमा ऐप के जरिए जनता के अधिकारी की सुरक्षा हेतु पहले से मौजूदा कानून का एकीकरण और संशोधन 1938 में किया गया।
⏩️ सेंट्रल गवर्नमेंट का राष्ट्रीयकरण 245 भारतीय एवं विदेशी बीमा एवं प्रोविडेंट सोसाइटी को अपने अधीन किया एलआईसी ने एक्ट आप पार्लियामेंट की स्थापना की जैसे 5 करोड़ की पूंजी निवेश करके भारतीय गवर्नमेंट के साथ एलआईसी एक्ट 1956 की स्थापना की गई ।
⏩️ कोलकाता में ब्रिटिश गवर्नमेंट के जरिए 18 से 50 ईसवी में स्थापित की गई थी पहले ट्रीटोन बीमा कंपनी लिमिटेड।
भारतीय जनरल बीमा बिजनेस के महत्पूर्ण कीर्तिमान
✅️ इंडियन मर्केंटाइल बीमा लिमिटेड में जनरल बीमा बिजनेस के सभी वर्गों के साथ काम करने वाली पहली कंपनी की स्थापना 1907 में की थी।
✅️ बीमा एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक शाखा जनरल बीमा काउंसिल ने बेहतर और गणेश व्यापार के अवसर को 1957 ईस्वी में प्रदान किया।
✅️ बीमा एक्ट में निवेश प्रणाली में संशोधन किया तथा ऋण चुकाने के लिए निम्न द्वारे बनाएं एवं तारीफ एडवाइजर कमेटी की स्थापना 1968 में की।
✅️ जनरल बीमा बिजनेस एक्ट के जनरल बीमा बिजनेस का 1972 में राष्ट्रीयकरण किया गया जो 1 जनवरी 1976 से लागू हुआ था।
✅️ 107 निवेशकों को आपस में मिलाकर के 4 कंपनियों का समूह बनाया गया जैसे द नेशनल बीमा कंपनी लिमिटेड द न्यू इंडिया बीमा कंपनी लिमिटेड और ओरिएंटल बीमा कंपनी लिमिटेड के साथ-साथ दी यूनाइटेड इंडियन बीमा कंपनी लिमिटेड जीआईसी इन कोऑपरेटिव कंपनी।
प्रश्न :-अपनी LIC कैसे चेक करें
उत्तर :- LIC पॉलिसी स्टेटस एसएमएस से करें जांच (LIC Policy Status by SMS) सबसे पहले अपने मोबाइल में सेंड एसएमएस वाले सेक्शन में जाएं। अब कंपोज एसएमएस पर क्लिक करें। बॉक्स में ASKLIC XXXXXXXX STAT फॉर्मेट में टाइप करें और 9222492224 या 56767877 नंबर पर एसएमएस भेज दें।23-Aug-2022
प्रश्न :- एलआईसी का पैसा कब मिलता है?
उत्तर :- मतलब आपने पहले साल जो प्रीमियम का पैसा भरा है वो भी जिरो हो जाता है. इस तरह बाकी के दो साल पर 30 फीसदी मिलेगा. इसमें राइडर्स के लिए भुगतान किया गया कोई अतिरिक्त प्रीमियम, टैक्स और एलआईसी से प्राप्त होने वाले किसी भी बोनस को भी शामिल नहीं किया गया है |